Friday, May 11, 2012

अपने अपने अज्ञेय


पिछले वर्ष सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्सायन अज्ञेय की जन्म सदी मानाई गई । लगभग पूरे देश में अनेकों गोष्ठियों का आयोजन किया गया । अबतक अज्ञेय पर बहुत लिखा गया है । न जाने कितने शोध हुए है उनके साहित्य पर । अज्ञेय ने प्रयोगवाद और नई कविता को हिन्दी साहित्य में प्रतिष्ठित किया । वे एक अनन्य कवि , उपन्यासकार, यात्रा वृत्तांत और कहानीकार थे । उनके व्यक्तित्व और कृतीत्व पर बृहद प्रकाश डालते हुए प्रसिद्ध विचारक और संपादक श्री ओम थानवी ने एक बृहद ग्रंथ तैयार किया है जिसका शीर्षक है ’अपने अपने अज्ञेय’ । परिअचय के रूप में श्री ओम थानवी के दो शब्द की जगह चार शब्द अत्यंत रोचक है । बहुत सी जानकारियाँ उसमें समाहित हैं । यह संस्मरण उनके वर्षों के परिश्रम का फल है । ग्रंथ के दो भाग हैं और यह ग्रंथ करीब हज़ार पन्नों का है । ग्रंथ का उद्देश्य अज्ञेय के कुछ अनछुए पहलुओं से पाठकों को परिचित कराना है ।

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